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संकट नाशन गणेश स्तोत्रम्-संकटों से मुक्ति का दिव्य उपाय

गणेश चतुर्थी का पर्व हो या फिर किसी शुभ कार्य की शुरुआत, भगवान गणेश का नाम और उनका आशीर्वाद अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। भारतीय संस्कृति में गणेश जी को प्रथम पूज्य देवता के रूप में पूजा जाता है। उनके स्मरण मात्र से ही सभी विघ्न-बाधाएँ दूर हो जाती हैं। आज हम 'संकट नाशन गणेश स्तोत्रम्' के बारे में जानेंगे, जो भगवान गणेश के बारह नामों का एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। इसे नित्य पाठ करने से जीवन के समस्त संकटों का नाश होता है और भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है।


संकट नाशन गणेश स्तोत्रम्

संकट नाशन गणेश स्तोत्रम् का महत्व


'संकट नाशन गणेश स्तोत्रम्' का उल्लेख 'नारद पुराण' में मिलता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत फलदायी है जो अपने जीवन में आने वाली विभिन्न प्रकार की समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का आगमन होता है।


संकट नाशन गणेश स्तोत्रम् का अर्थ और व्याख्या


श्लोक 1: प्रारंभिक वंदना

नारद उवाच ।प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुष्कामार्थसिद्धये ॥ 1 ॥


यहाँ नारद मुनि भगवान गणेश की स्तुति करते हुए कहते हैं कि सिर झुकाकर गौरीपुत्र विनायक की नित्य स्मरण करें, जिससे आयु, कामना, और अर्थ की सिद्धि होती है।


श्लोक 2: बारह नामों की सूची

प्रथमं वक्रतुंडं च एकदंतं द्वितीयकम् ।तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ॥ 2 ॥


इस श्लोक में भगवान गणेश के पहले चार नामों का वर्णन है - वक्रतुंड, एकदंत, कृष्णपिंगाक्ष, और गजवक्त्र।


श्लोक 3: पाँचवें से आठवें नाम

लंबोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ॥ 3 ॥


इस श्लोक में भगवान गणेश के अगले चार नामों का वर्णन है - लंबोदर, विकट, विघ्नराज, और धूम्रवर्ण।


श्लोक 4: अंतिम चार नाम


नवमं भालचंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ॥ 4 ॥


यहाँ गणेश जी के अंतिम चार नाम दिए गए हैं - भालचंद्र, विनायक, गणपति, और गजानन।


द्वादश नामों के पाठ का महत्त्व और फल


श्लोक 5: त्रिकाल संध्या के समय पाठ की महिमा


द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः ।न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं परम् ॥ 5 ॥


व्याख्या:इस श्लोक में नारद मुनि बताते हैं कि यदि कोई व्यक्ति भगवान गणेश के इन बारह नामों का पाठ दिन में तीन बार (प्रातः, दोपहर, और सायंकाल) करता है, तो उसे किसी भी प्रकार का विघ्न-भय नहीं होता। यह पाठ सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करने वाला माना जाता है।


श्लोक 6: विभिन्न इच्छाओं की पूर्ति


विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥ 6 ॥


व्याख्या:इस श्लोक में कहा गया है कि इस स्तोत्र के नियमित पाठ से विद्यार्थियों को विद्या की प्राप्ति होती है, धन की इच्छा रखने वालों को धन मिलता है, संतान की कामना रखने वाले को संतान सुख प्राप्त होता है, और मोक्ष की इच्छा रखने वाले को मोक्ष प्राप्त होता है। इस प्रकार, यह स्तोत्र जीवन की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला है।


श्लोक 7: पाठ के फल प्राप्ति का समय


जपेद्गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत् ।संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ॥ 7 ॥


व्याख्या:इस श्लोक में बताया गया है कि यदि कोई व्यक्ति छह महीने तक नियमित रूप से 'संकट नाशन गणेश स्तोत्रम्' का जप करता है, तो उसे निश्चित रूप से फल प्राप्त होता है। और यदि एक वर्ष तक इसका पाठ किया जाए, तो वह सिद्धि प्राप्त कर लेता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह स्तोत्र अत्यंत शक्तिशाली और फलदायी है।


श्लोक 8: ब्राह्मणों को समर्पित करने का फल


अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत् ।तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥ 8 ॥


व्याख्या:इस श्लोक में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति इस स्तोत्र को लिखकर आठ ब्राह्मणों को समर्पित करता है, तो भगवान गणेश की कृपा से उसे सभी प्रकार की विद्या की प्राप्ति होती है। यह अनुष्ठान भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त करने का एक श्रेष्ठ मार्ग है, जो व्यक्ति की समस्त विद्या संबंधी इच्छाओं को पूर्ण करता है।


ये चारों श्लोक 'संकट नाशन गणेश स्तोत्रम्' के अद्भुत प्रभावों का वर्णन करते हैं। इस स्तोत्र के नियमित और विधिपूर्वक पाठ से न केवल सभी संकट दूर होते हैं, बल्कि व्यक्ति को मनचाही सिद्धि, धन, विद्या, संतान, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। गणेश जी की कृपा से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं, और जीवन में आनंद और समृद्धि का आगमन होता है।


संकट नाशन गणेश स्तोत्रम् का पाठ विधि


  1. प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. गणेश जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएँ।

  3. आसन पर बैठकर पूरे मन से स्तोत्र का पाठ करें।

  4. दिन में तीन बार (प्रातः, दोपहर, और सायंकाल) इसका पाठ करने का नियम बनाएं।


पाठ के लाभ


  • संकटों का नाश: इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में आने वाले समस्त विघ्न और संकट दूर हो जाते हैं।

  • विद्या और धन की प्राप्ति: विद्यार्थी और धन की प्राप्ति के इच्छुक व्यक्ति को भी इस स्तोत्र का पाठ लाभकारी होता है।

  • संतान प्राप्ति: संतान की कामना रखने वाले भक्तों को इसका पाठ करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।


संकट नाशन गणेश स्तोत्रम् के अन्य लाभ


  • आयु और स्वास्थ्य में वृद्धि: नियमित पाठ से आयु में वृद्धि होती है और स्वास्थ्य भी उत्तम रहता है।

  • शांति और समृद्धि: इसका पाठ मानसिक शांति और जीवन में समृद्धि लाता है।


संकट नाशन गणेश स्तोत्रम् के पाठ के अनुभव


बहुत से भक्तों ने बताया है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से उनके जीवन में न केवल आध्यात्मिक उन्नति हुई है बल्कि भौतिक सुख-सुविधाओं में भी वृद्धि हुई है।


'संकट नाशन गणेश स्तोत्रम्' भगवान गणेश के बारह नामों का दिव्य संकलन है जो जीवन के समस्त संकटों को दूर करता है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति को शांति, समृद्धि, और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। गणेश जी का आशीर्वाद सदैव हमारे साथ बना रहे, यही कामना है।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)


  1. संकट नाशन गणेश स्तोत्रम् का पाठ किस समय करना चाहिए?इसे प्रातःकाल और सायंकाल दोनों समय किया जा सकता है।

  2. क्या संकट नाशन गणेश स्तोत्रम् का पाठ केवल विशेष अवसरों पर किया जा सकता है?नहीं, इसे किसी भी दिन, विशेष रूप से संकट के समय, किया जा सकता है।

  3. इस स्तोत्र के पाठ से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?संकटों का नाश, आयु में वृद्धि, स्वास्थ्य लाभ, विद्या, धन, और संतान प्राप्ति आदि।

  4. क्या स्तोत्र पाठ के लिए कोई विशेष नियम हैं?हां, इसे शुद्ध मन और स्वच्छता का पालन करते हुए करना चाहिए।

  5. क्या स्त्रियाँ भी संकट नाशन गणेश स्तोत्रम् का पाठ कर सकती हैं?हाँ, सभी स्त्री-पुरुष इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।

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