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श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम्-महत्व, अर्थ और लाभ

श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम् एक प्राचीन और दिव्य भक्ति स्तोत्र है, जिसे महान आद्य शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। यह स्तोत्र भगवान राम के प्रति भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत उदाहरण है, जिसमें भगवान राम के गुण, महिमा, और उनकी लीला का वर्णन है।


श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम् का इतिहास

श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम् का उल्लेख शंकराचार्य के समय से मिलता है। यह स्तोत्र भगवान श्री राम के पाँच रत्न-स्वरूप गुणों का बखान करता है और इन गुणों को समझने से जीवन में शांति, सुख, और मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।


श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम् का महात्म्य

यह स्तोत्र भगवान श्री राम की महिमा को समझने और उनके प्रति भक्ति भावना को प्रगाढ़ करने का एक माध्यम है। इसके पाठ से व्यक्ति को अपने जीवन की सभी कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है और परमात्मा के समीप जाने का अवसर प्राप्त होता है।


श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम्

श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम् के पाँच श्लोक


कंजातपत्रायत लोचनाय कर्णावतंसोज्ज्वल कुंडलाय

कारुण्यपात्राय सुवंशजाय नमोस्तु रामायसलक्ष्मणाय ॥ 1 ॥


विद्युन्निभांभोद सुविग्रहाय विद्याधरैस्संस्तुत सद्गुणाय

वीरावतारय विरोधिहर्त्रे नमोस्तु रामायसलक्ष्मणाय ॥ 2 ॥


संसक्त दिव्यायुध कार्मुकाय समुद्र गर्वापहरायुधाय

सुग्रीवमित्राय सुरारिहंत्रे नमोस्तु रामायसलक्ष्मणाय ॥ 3 ॥


पीतांबरालंकृत मध्यकाय पितामहेंद्रामर वंदिताय

पित्रे स्वभक्तस्य जनस्य मात्रे नमोस्तु रामायसलक्ष्मणाय ॥ 4 ॥


नमो नमस्ते खिल पूजिताय नमो नमस्तेंदुनिभाननाय

नमो नमस्ते रघुवंशजाय नमोस्तु रामायसलक्ष्मणाय ॥ 5 ॥


इमानि पंचरत्नानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः

सर्वपाप विनिर्मुक्तः स याति परमां गतिम् ॥


इति श्रीशंकराचार्य विरचित श्रीरामपंचरत्नं संपूर्णं


श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम् का अर्थ

5.1 श्लोक 1 का अर्थ

पहले श्लोक में भगवान श्री राम के सुंदर नेत्रों की तुलना कमल के पत्तों से की गई है। उनके कानों में कुंडल की आभा और उनकी करुणामय प्रकृति का वर्णन किया गया है।

5.2 श्लोक 2 का अर्थ

इस श्लोक में भगवान श्री राम के दिव्य स्वरूप और उनके अद्वितीय गुणों का वर्णन है, जो विद्याधरों द्वारा भी प्रशंसित हैं।

5.3 श्लोक 3 का अर्थ

तीसरे श्लोक में श्री राम की समुद्र का गर्व हरने वाली लीला और सुग्रीव के साथ उनकी मित्रता का उल्लेख है।

5.4 श्लोक 4 का अर्थ

चौथे श्लोक में भगवान राम के पीतांबर धारण करने और उनके मध्य शरीर का वर्णन किया गया है, जो देवताओं के द्वारा वंदित है।

5.5 श्लोक 5 का अर्थ

पाँचवे श्लोक में भगवान राम की वंश-परंपरा का वर्णन है, और उनके प्रति नतमस्तक होकर पुनः नमस्कार किया गया है।


श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण भक्ति स्तोत्र है, जिसे आद्य शंकराचार्य ने भगवान श्री राम की महिमा का वर्णन करने के लिए रचा। इस स्तोत्र में भगवान राम के पांच प्रमुख गुणों का उल्लेख किया गया है, जो भक्तों को उनकी दिव्यता और महानता से परिचित कराते हैं। प्रत्येक श्लोक में भगवान राम की विशेषताओं जैसे उनकी करुणामय दृष्टि, दिव्य स्वरूप, और समुद्र के गर्व को हराने वाली शक्ति का विस्तार से वर्णन है। इस स्तोत्र का पाठ भक्तों को मानसिक शांति, पापों से मुक्ति, और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। प्रातःकाल और संध्या के समय शुद्ध मन से पाठ करने से यह विशेष लाभकारी होता है। श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम् एक आध्यात्मिक यात्रा का मार्गदर्शक है, जो भक्तों को भगवान राम के निकट ले जाता है और जीवन की कठिनाइयों से उबारता है।

श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम् का पाठ करने के लाभ

इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से मन और आत्मा की शांति प्राप्त होती है। यह सभी पापों से मुक्ति दिलाता है और व्यक्ति को परम गति की ओर ले जाता है।


श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम् का पाठ कैसे करें?

इस स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय शांत मन से करना चाहिए। पाठ करते समय भगवान राम का ध्यान और उनकी महिमा का चिंतन अत्यंत महत्वपूर्ण है।


त्रिसंध्या का महत्व

त्रिसंध्या का अर्थ है दिन में तीन बार पूजा या प्रार्थना करना। श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम् का पाठ त्रिसंध्या के समय करने से इसका प्रभाव बढ़ जाता है।


श्री शंकराचार्य और श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम्

श्री शंकराचार्य ने इस स्तोत्र की रचना भगवान राम की भक्ति और उनके आदर्शों को समझने और अपनाने के लिए की थी।


स्त्रोत के पाठ के समय ध्यान रखने योग्य बातें

स्त्रोत का पाठ शुद्ध उच्चारण और संपूर्ण समर्पण के साथ करना चाहिए। पाठ के समय शरीर और मन को स्वच्छ रखना भी आवश्यक है।


श्री राम के भक्तों के लिए विशेष संदेश

श्री राम के भक्तों को यह स्तोत्र अपने जीवन में एक मार्गदर्शक के रूप में अपनाना चाहिए, जिससे वे जीवन के हर संकट का सामना धैर्य और संयम से कर सकें।


अध्यात्मिक यात्रा में श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम् का योगदान

यह स्तोत्र भक्तों को अध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर करने का एक उत्तम साधन है।


अन्य राम स्तोत्र और उनकी महत्ता


श्री राम के अन्य स्तोत्र, जैसे रामरक्षा स्तोत्र, रामचंद्राष्टकम्, और रामाष्टकम् भी बहुत महत्वपूर्ण हैं और इनका पाठ भी भक्तों के लिए फलदायी है।


श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम् भगवान राम की महिमा का वर्णन करता है और इसे जीवन में अपनाने से भक्तों को असीम शांति और मुक्ति का मार्ग प्राप्त होता है।


(FAQs)

  1. श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम् क्या है? यह भगवान राम की महिमा का वर्णन करने वाला एक स्तोत्र है, जिसे आद्य शंकराचार्य ने रचा है।

  2. श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम् का पाठ कब करना चाहिए? इसे प्रातःकाल और संध्या के समय त्रिसंध्या के अंतर्गत करना उत्तम माना जाता है।

  3. श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम् का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं ?इससे मन की शांति, पापों से मुक्ति और जीवन में आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।

  4. क्या श्री राम पंचरत्न स्तोत्रम् का पाठ केवल ब्राह्मण ही कर सकते हैं? नहीं, इसे कोई भी भक्त श्रद्धा और भक्ति भाव से कर सकता है।

  5. क्या स्तोत्र के पाठ के लिए कोई विशेष नियम हैं? पाठ के समय मन, वाणी, और शरीर की शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है। पाठ करते समय भगवान राम का ध्यान और समर्पण भाव होना चाहिए। स्थान की पवित्रता भी महत्वपूर्ण है; इसलिए स्वच्छ और शांत वातावरण में पाठ करना चाहिए। सुबह और शाम के समय पाठ करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।


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