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गर्मी के मौसम में बेल का सेवन और चिकित्सकीय लाभ

लेखक की तस्वीर: Dr.Madhavi Srivastava Dr.Madhavi Srivastava

अपडेट करने की तारीख: 31 जुल॰ 2024

बेल, जिसे एगले मार्मेलोस भी कहते हैं, हिंदू संस्कृति में महत्वपूर्ण पेड़ है जिसे औषधीय गुणों और धार्मिक महत्व के लिए पूजा जाता है। इसके फल, पत्ते और जड़ें चिकित्सा में उपयोग होती हैं और पारंपरिक दवाओं में उपयोग किया जाता है। बेल को विशेष रूप से भगवान शिव से जोड़ा जाता है।




गर्मी के मौसम में बेल का सेवन और चिकित्सकीय लाभ


हिंदू धर्म में बेल एक पवित्र पौधा है। बेल का पत्र भगवान शंकर को अति प्रिय है। आयुर्वेद में बेल एक महत्वपूर्ण औषधि है। इस बेल का संपूर्ण भाग गुणकारी है। इसका फल बाहर से कठोर दिखता है, परंतु अंदर से यह बहुत मुलायम और गुदेदार होता है और बहुत ही मीठा होता है। गर्मी के मौसम में बेल का सेवन और चिकित्सकीय लाभ गुणकारी है।

गर्मी के दिनों में इसका सेवन बहुत ही फलदायी होता है, क्योंकि गर्मी आते ही तरह-तरह के रोगों का आक्रमण होने लगता है। मुख्य रूप से यह वृक्ष भारत में ही पाया जाता है। मुख्यतः इसका सेवन शर्बत के रूप में ही होता है।

इसका कई तरह सेवन क्या जा सकता है—


कच्चा फल: गूदा निकालकर सीधे खाया जा सकता है। इसका स्वाद मीठा और थोड़ा तीखा होता है।


जूस: जूस गर्मियों का एक लोकप्रिय पेय है। बेल के गूदे को पानी और थोड़ी सी चीनी या शहद के साथ मिलाने से एक ताज़ा पेय बनता है।


शर्बत: गूदे को पानी, चीनी और नींबू के एक टुकड़े के साथ मिलाने से ठंडा शरबत बनता है।


चटनी और जैम: गूदे का उपयोग स्वादिष्ट चटनी बनाने के लिए किया जा सकता है। आइसक्रीम और पुडिंग जैसी मिठाइयों में बेल के गूदे को शामिल करने से एक अनोखा स्वाद जुड़ जाता है।


बेल का वानास्पतिक नाम Aegle marmelos है। यह Rutaceae (रूटेसी) कुल का है। आयुर्वेद के अनुसार बेल का प्रयोग औषधि के रूपमें होता है। यह कई रोगों की रोकथाम कर सकता है तो कई रोगों को ठीक करने के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है। यह कफ-वात विकार, बदहजमी, दस्त, मूत्र रोग, पेचिश, डायबिटीज, ल्यूकोरिया में बेल के फायदे ले सकते हैं। इसके अलावा पेट दर्द, पीलिया, आंखों के रोग आदि में भी बेल के सेवन से लाभ मिलता है। आइए बेल के सभी औषधीय गुणों के बारे में जानते हैं।


मधुमेह या डायबिटीज में बेल का उपयोग


  • 10-20 ग्राम बेल के ताजे पत्तों को पीस लें। उसमें 5-7 काली मिर्च भी मिलाकर पानी के साथ प्रातः खाली पेट सेवन करें। इससे मधुमेह में लाभ होता है।

  • प्रतिदिन प्रातः10 मिली बिल्व (बेल) के पत्ते के रस का सेवन भी लाभकारी होता है।

  • बेल के पत्ते, हल्दी, गिलोय, हरड़, बहेड़ा, और आंवला लें। इनकी 6-6 की मात्रा में लेकर कूटें। इन्हें 250 मिली जल में रात को भीगो दें। सुबह खूब मसल, छान लें। इसकी 125 मिली मात्रा सुबह और शाम 2-3 माह तक सेवन करें। इससे मधुमेह में लाभ होता है।


मूत्र रोग में बेल के सेवन से लाभ


10 ग्राम बेलगिरी, तथा 5 ग्राम सोंठ को, कूट कर 400 मिली जल में काढ़ा बना लें। इसे सुबह-शाम सेवन करने से मूत्र रोग में लाभ होता है।


बेल का औषधीय गुण करता है कमजोरी दूर


  • केवल बेलगिरी के चूर्ण को मिश्री और दूध के साथ सेवन करने से शरीरमें रक्त की कमी, शारीरिक दुर्बलता तथा वीर्य की कमी को दूर करता है।

  • 3 ग्राम बिल्व के पत्तों के चूर्ण में थोड़ा शहद मिलाकर, सुबह-शाम सेवन करने से धातु रोग में लाभ मिलता है।

  • 20-25 मिली बिल्व के पत्ते के रस में 6 ग्राम जीरक चूर्ण, 20 ग्राम मिश्री, तथा 100 मिली दूध मिला लें। इसे पीने से शारीरिक दुर्बलता दूर होती है।

  • बेल को सुखा लें। इसके गूदे का महीन चूर्ण बना लें। इसे प्रतिदिन सुबह और शाम सेवन करें। इससे कमजोरी दूर होती है।


पीलिया और एनीमिया में बेल से लाभ


10-30 मिली बेल के पत्ते के रस में आधा ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिला लें। दो समय सेवन करने से पीलिया और एनीमिया रोग में लाभ होता है।


पेचिश में बेल का सेवन लाभदायक


  • 10 ग्राम बेलगिरी चूर्ण, 6-6 ग्राम सोंठ चूर्ण, और पुराने गुड़ को खरल कर लें। इसे दिन में तीन या चार बार छाछ के साथ 3 ग्राम की मात्रा में सेवन कराएं।


बदहजमी में बेल का सेवन फायदेमंद


  • बेलगिरी चूर्ण 100 ग्राम, और अदरक 20 ग्राम को पीस लें। इसमें थोड़ी शक्कर (50 ग्राम), और इलायची मिलाकर चूर्ण कर लें। सुबह-शाम भोजन के बाद आधा चम्मच गुनगुने जल से लें। इससे पाचन ठीक होता है, और भूख बढ़ती है।

  • पके हुए बेल फल का सेवन करने से पाचन शक्ति ठीक होती है।


पेट दर्द में बेल का प्रयोग लाभदायक


  • 10 ग्राम बेल के पत्ते, तथा 7 काली मिर्च पीसकर, उसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर शर्बत बना लें। इसे दिन में 3 बार सेवन करें।


क्षय रोग या टीबी की बीमारी में बेल से फायदा


बेल की जड़, अड़ूसा के पत्ते तथा नागफनी और थूहर के पके सूखे हुए फल 4-4 भाग लें। इसके साथ ही सोंठ, काली मिर्च व पिप्पली 1-1 भाग लें। इन्हें कूट लें। इसके 20 ग्राम मिश्रण को लेकर जल में पकाए। जब पानी एक चौथाई रह जाए तो सुबह और शाम शहद के साथ सेवन करने से टीबी रोग में लाभ होता है।


सिर दर्द में फायदेमंद बेल का इस्तेमाल


  • बेल की सूखी हुई जड़ को थोड़े जल के साथ गाढ़ा पीस लें। इसके पत्ते का पेस्ट बना लें। इसे मस्तक पर लेप करने से सिर दर्द से आराम मिलता है।


इस प्रकार बेल बहुत से औषधिय गुणों से भरपूर है। रोगी और गर्भवती महिलाएं इसका प्रयोग चिकित्सक के परामर्श से करें।

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