गायत्री मंत्र न केवल एक प्राचीन वेद मंत्र है, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि, बुद्धि की प्रखरता और जीवन की समृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण साधना भी है। इसके नियमित जाप से व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का संचार होता है।
गायत्री मंत्र का विस्तार सर्व प्राचीन ऋग्वेद से लिया गया है। ऋग्वेद की रचना आज से 2500-3500 वर्ष पूर्व हुई थी। इस मंत्र के दृष्टा ब्रह्मर्षि विश्वामित्र हैं। 'ॐ भूर्भुवः स्वः' यह मंत्र यजुर्वेद से लिया गया है और इसे महाव्याहृति के रूप में जाना जाता है। यह एक महान आध्यात्मिक कथन है जिसका प्रयोग कई अन्य मंत्रों से पूर्व किया जाता है।
गायत्री मंत्र का अर्थ है पृथ्वी, स्वर्ग और उससे आगे के सभी लोकों से अपने आप को जोड़ना और उस परम ऊर्जा को अपने भीतर समाहित करना। 'तत्' का तात्पर्य है 'वह', जो अवर्णनीय और अतुलनीय है। 'सवितुर्' का अर्थ है सूर्य, सविता, ज्ञान या विवेक, जो सभी को प्रेरित करता है और सभी का प्राण तत्व है। यह एक दिव्य प्रकाश है जो सबका सार तत्व है। 'वरेण्यम' का अर्थ है 'आराधना करना', अर्थात् हम उस ब्रह्मांड या उससे भी परे की दिव्यता को प्रणाम करते हैं।
अगली पंक्ति 'भर्गो देवस्य धीमहि' का अर्थ है उस दिव्यता का निरंतर चिंतन करना और उसकी ध्वनि में ध्वनित होते रहना। अंतिम पंक्ति 'धियो यो नः प्रचोदयात्' का अर्थ है कि हम उसकी दिव्य बुद्धि, परम प्रकाश या परम ज्ञान का ध्यान करते हैं और सदैव उसी में निवास करते हैं।
ॐ भूर्भुवः स्वः (तैत्तिरीय आरण्यक, यजुर्वेद)
तत्सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात् (ऋग्वेद 3/62/10)
गायत्री मंत्र जाप कब करें—
1. सूर्योदय से पूर्व
2. दोपहर में
3. सूर्यास्त से पूर्व
गायत्री मंत्र जाप से लाभ—
1. मन की शांति और एकाग्रता के लिए गायत्री मंत्र का जाप करना कहिए।
2. गायत्री मंत्रों के जाप से दुःख, कष्ट, दरिद्रता और पाप दूर होते हैं।
3. संतान प्राप्ति के लिए भी गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है।
4. कार्यों में सफलता, करियर में उन्नति आदि के लिए भी गायत्री मंत्र का जाप करना श्रेयस्कर है।
5. विरोधियों या शत्रुओं में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए घी एवं नारियल के बुरा का हवन करें और गायत्री मंत्र का जाप करते रहें।
6. स्मरण शक्ति के विकास के लिए गायत्री मंत्र का जाप प्रतिदिन करना चाहिए।
सभी देवता के गायत्री मंत्र
अब हम सभी देवता के गायत्री मंत्र देखेंगे।
शिव गायत्री मन्त्रः
ॐ तत्पुरु॑षाय वि॒द्महे॑ महादे॒वाय॑ धीमहि ।
तन्नो॑ रुद्रः प्रचो॒दया᳚त् ॥
शिव गायत्री मंत्र का जाप करने से सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ती होती है। इस मंत्र का जाप करने से पाप का नाश होता है, मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है। पूजा में इस मंत्र का जाप करने से शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। पितृदोष, कालसर्प दोष, राहु-केतु तथा शनि दोष की शांति के लिए शिव गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
गणपति गायत्री मन्त्रः
ॐ तत्पुरु॑षाय वि॒द्महे॑ वक्रतु॒ण्डाय॑ धीमहि ।
तन्नो॑ दन्तिः प्रचो॒दया᳚त् ॥
गणपती गायत्री मंत्र का जप प्रतिदिन किया जाए, तो सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सफलता और सुख समृद्धि आती है। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है. धर्म शास्त्र में इस मंत्र का प्रयोग हर सफलता के लिए सिद्ध माना गया है। यह मंत्र रोग और शत्रुओं पर विजय दिलाता है.
नन्दि गायत्री मन्त्रः
ॐ तत्पुरु॑षाय वि॒द्महे॑ चक्रतु॒ण्डाय॑ धीमहि ।
तन्नो॑ नन्दिः प्रचो॒दया᳚त् ॥
पौराणिक कथाओं के अनुसार नंदी जी को भगवान शिव की सभी शक्तियां प्राप्त है। इस वजह से भगवान शिव के आशीर्वाद के लिए नंदी जी का प्रसन्न होना बहुत ही आवश्यक है। नंदी गायत्री मंत्र का प्रतिदिन जाप करने से मनुष्य ज्ञान और बुद्धि में श्रेष्ठ हो जाता है। यह मंत्र शारीरिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है।
सुब्रह्मण्य गायत्री मन्त्रः
ॐ तत्पुरु॑षाय वि॒द्महे॑ महासे॒नाय॑ धीमहि ।
तन्नः षण्मुखः प्रचो॒दया᳚त् ॥
इस मंत्र के नरन्तर जाप से सभी प्रकार के शत्रुओं का नाश होता है।
गरुड गायत्री मन्त्रः
ॐ तत्पुरु॑षाय वि॒द्महे॑ सुवर्णप॒क्षाय॑ धीमहि ।
तन्नो॑ गरुडः प्रचो॒दया᳚त् ॥
इस मंत्र के जाप से सर्पों का भय समाप्त हो जाता है। काला जादू या नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है। कुंडली में राहू, केतु के दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
ब्रह्म गायत्री मन्त्रः
ॐ-वेँ॒दा॒त्म॒नाय॑ वि॒द्महे॑ हिरण्यग॒र्भाय॑ धीमहि ।
तन्नो॑ ब्रह्मः प्रचो॒दया᳚त् ॥
ब्रह्म गायत्री मंत्र की का जाप करने से यश, धन, संपत्ति आदि की प्राप्ति होती है। यह मंत्र चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति करने वाला है। यह मंत्र मृत्यु के पश्चात ब्रह्मलोक का मार्ग प्रशस्त करता है।
विष्णु गायत्री मन्त्रः
ॐ ना॒रा॒य॒णाय॑ वि॒द्महे॑ वासुदे॒वाय॑ धीमहि ।
तन्नो॑ विष्णुः प्रचो॒दया᳚त् ॥
इस मंत्र के जाप से पारिवारिक कलह से मुक्ति और सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
श्री लक्ष्मि गायत्री मन्त्रः
ॐ म॒हा॒दे॒व्यै च वि॒द्महे॑ विष्णुप॒त्नी च॑ धीमहि ।
तन्नो॑ लक्ष्मी प्रचो॒दया᳚त् ॥
इस मंत्र का जाप करने से माता लक्ष्मी की असीम कृपा बरसती है। माना जाता है कि रोजाना कमलगट्टे की माला से महालक्ष्मी गायत्री मंत्र का जाप करने से कर्ज से मुक्ति मिल जाती है और देवी लक्ष्मी की कृपा उनके भक्तों पर बनी रहती है।
नरसिंह गायत्री मन्त्रः
ॐ-वँ॒ज्र॒न॒खाय वि॒द्महे॑ तीक्ष्णद॒ग्ग्-ष्ट्राय॑ धीमहि ।
तन्नो॑ नरसिग्ंहः प्रचो॒दया᳚त् ॥
इस मंत्र के जाप से तांत्रिक मंत्र, बाधा, भूत, पिशाच और अकाल मृत्यु के भय से छुटकारा मिलता है। इन मंत्र का जाप करने से सभी दुःख दूर हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त मंत्र का जाप करते समय नरसिंह देवता को एक मोर पंख अर्पित करना चाहिए। इससे कालसर्प दोष दूर होता है और धन में वृद्धि होती है।
सूर्य गायत्री मन्त्रः
ॐ भा॒स्क॒राय॑ वि॒द्महे॑ महद्द्युतिक॒राय॑ धीमहि ।
तन्नो॑ आदित्यः प्रचो॒दया᳚त् ॥
इस मंत्र का जाप करने से जगत में यश और सम्मान की प्राप्ति होती है। कुंडली में यदि सूर्य दुर्बल हो तो इस मंत्र का जाप करना चहिए, इससे आत्मबल की वृद्धि होती है, और नेत्र विकार भी दूर होते हैं।
अग्नि गायत्री मन्त्रः
ॐ-वैँ॒श्वा॒न॒राय॑ वि॒द्महे॑ लाली॒लाय धीमहि ।
तन्नो॑ अग्निः प्रचो॒दया᳚त् ॥
अग्नि को इंद्र का जुड़वा भाई कहा जाता है। वह इंद्र के ही समान बलशाली और शक्तिशाली हैं। वेदों में अग्नि को वैश्वानर अग्नि (विश्व को कार्य में संलग्न रखने वाली ऊर्जा) के रूप में प्रार्थना की गई है। पुराणों में अग्नि की पत्नी का नाम स्वाहा बताया गया है और इनके तीन पुत्र– पावक, पवमान और शुचि हैं। अग्नि ही हवन में अर्पित समिधा को देवताओं तक पहुंचाती है। अग्नि गायत्री मंत्र से आप के अंदर ऊर्जा का विकास होगा।
दुर्गा गायत्री मन्त्रः
ॐ का॒त्या॒य॒नाय॑ वि॒द्महे॑ कन्यकु॒मारि॑ धीमहि ।
तन्नो॑ दुर्गिः प्रचो॒दया᳚त् ॥
इस मंत्र का जाप उन लोगों के लिए अच्छा है जो किसी भी प्रकार के भय से मुक्त होना चाहते हैं। इस मंत्र से आत्मविश्वास की वृद्धिहोती है। दुर्गा गायत्री मंत्र बुद्धि और शांति के साथ-साथ समृद्धि और सौभाग्य भी लाता है। नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करने से जीवन की परेशानियां और मानसिक समस्याएं दूर होती हैं।
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